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गुरुवार, 22 जनवरी 2009

शांत तूफ़ान....

एक देश जो कभी अंतुले के बयान से घबराता है तो कंही रब ने बना दी जोड़ी के सहारे रहता है किसी दूसरे देश में अवतार (ओबामा }जन्म ले ,यज्ञ करता है उसकी अपनी समस्याओं को समाप्त करने के लिए आका का हुक्म आने का इंतज़ार, अपनी निजता को वास्तविकता में खोता नजर आ रहा है वास्तव में भारत शान्ति का प्रतीक है और शांत भी लेकिन ठीक उसी तरह जैसे भयंकर तूफ़ान आने से पहले समुद्र ,सोचनीय यह है की यह तूफ़ान कही अपने ही घरो की सीमा को तबाह करने के लिए तो नही .विश्व में अपने आपको सर्व करने की होड़ में अपनी आंतरिक नीतियों को भूल जाना कुछ हजम नही होता और सच्चाई यही रही है की देश में सत्ता उसी की बनी है जो आंतरिक नीतियों पर चला है लेकिन दुर्भाग्य आंतरिक नीतियों पर कोई सुध्रिड न ही नीति बनी न ही कोई कारवाही,मेहता ,पारीख ,बहूत हुआ फिर सत्यम अब तो हद हो गई ,कारन पहले सेबी बन नही पायी थी और अभी पूर्ण रूप से विकास नही कर पाई ,पहले भारत के दिल (संसद)पर हमला ,फिर भारत की जान मुम्बई पर कारन पहले आन्तरिक खुफिया तंत्र मजबूत और ज्यादा टेक्नीकल नही था और अभी लापरवाह ,देश मंहगाई की आग में समय समय पर जलता है कारन प्रख्यात इकोनोमिस्ट (मनमोहन)महत्वपूर्ण seet पर है ,देश adhyatmik था लेकिन kamjor नही वस्तुतः कमजोर कड़ी को मजबूत कड़ी मानते हुए उसे मजबूत मानना होगा वरना परिणाम नक्सल इंडियन मुजाहिदीन और भी हमारे न सुधरने पर ....जारी रहेगा ....

1 टिप्पणी:

अजय कुमार झा ने कहा…

andaaj aakramak hai, aur wakt kee jaroorat bhee yahee hai, blogjagat mein swagat hai.